Monday, December 21, 2015

love your parents

✏धयान से पढ़ना आँखों में पानी आ जाएगा.

 बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..

इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया 
मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ...

जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....
आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था .... जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे ...

मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ....
पता तो चले कितना माल छुपाया है .....
माँ से भी ...

इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..

जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ....
मैंने जूता निकाल कर देखा .....
मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था ...
जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था ..

और मुझे जाना ही था घर छोड़कर ...

जैसे ही कुछ दूर चला ....
मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ....
पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था .....

जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी .....

मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ....

मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था..
लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए
पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?

दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था 
उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ......
ओह....अच्छे जुते पहनना ???
पर उनके जुते तो ...........!!!!

माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो ...
और वे हर बार कहते "अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे .."
मैं अब समझा कितने चलेंगे

......तीसरी पर्ची ..........
पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये ...
पढ़ते ही दिमाग घूम गया.....
पापा का स्कूटर .............
ओह्ह्ह्ह

मैं घर की और भागा........
अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ....

मैं घर पहुंचा .....
न पापा थे न स्कूटर ..............
ओह्ह्ह नही
मैं समझ गया कहाँ गए ....

मैं दौड़ा .....
और
एजेंसी पर पहुंचा......
पापा वहीँ थे ...............

मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया ..

.....नहीं...पापा नहीं........ मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल...

बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है..

वो भी आपके तरीके से ...।।

"माँ" एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है...

और

"पापा" एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है........Always Love Your Parents�� 
अगर दिल के किसी कोने को छू जाये तो फोरवर्ड जरूर करना .  〰〰〰〰〰〰〰 

Monday, December 14, 2015

Ram bhakt hanumaan

सुन रामभक्त हनुमान
सुन सुन रामभक्त हनुमान |
दे दे अपने चरणों में स्थान ||
करूँगा मै तेरा गुणगान |
सुन सुन रामभक्त हनुमान ||
मन में मैंने ठान लिया है |
अपना दाता मान लिया है ||
बस दे दे चरणों में स्थान |
सुन सुन रामभक्त हनुमान ||
इतनी इल्तजा है प्रभु मेरी |
नाथ नहीं करना अब देरी ||
दिल में ग्रहण करो स्थान |
सुन सुन रामभक्त हनुमान ||
चिंता तुम्हारी बिन वजह है |
दिल में मेरे बहुत जगह है ||
करूँगा हरपल तेरा सम्मान |
सुन सुन रामभक्त हनुमान ||
...................श्याम
_/l\_ मारुति नंदन नमो नमः कष्ट भंजन नमो
नमः
असुर निकंदन नमो नमः श्रीरामदूतम नमो
नमः _/l\

Saturday, November 28, 2015

एक मित्र ने बहुत ही सुंदर पंक्तियां भेजी है, फारवर्ड करने से खुद को रोक नहीं पाया ...

नयी सदी से मिल रही, दर्द भरी सौगात!
       बेटा कहता बाप से, तेरी क्या औकात!!
पानी आँखों का मरा, मरी शर्म और लाज!
      कहे बहू अब सास से, घर में मेरा राज!!
भाई भी करता नहीं, भाई पर विश्वास!
     बहन पराई हो गयी, साली खासमखास!!
मंदिर में पूजा करें, घर में करें कलेश!
      बापू तो बोझा लगे, पत्थर लगे गणेश!!
बचे कहाँ अब शेष हैं, दया, धरम, ईमान!
      पत्थर के भगवान हैं, पत्थर दिल इंसान!!
पत्थर के भगवान को, लगते छप्पन भोग!
      मर जाते फुटपाथ पर, भूखे, प्यासे लोग!!
फैला है पाखंड का, अन्धकार सब ओर!
     पापी करते जागरण, मचा-मचा   कर शोर!
पहन मुखौटा धरम का, करते दिन भर पाप!
     भंडारे करते फिरें, घर में भूखा बाप!
अच्छी लगे तो आगे शेयर कीजिए नहीं तो रहने दिजिये। धन्यवाद॥॥॥

Saturday, August 15, 2015

What is shivling ..? Do u know ???

शिव लिंग पूजा का राज जुडा है उत्तरकाण्ड से

शिव की यागीश्वर में तपस्या
=====================

जैसे के आपको ज्ञात होगा और कथा आपने सुनी होगी !

जब दक्ष्य प्रजापति ने कनखल के समीप यज्ञ किया था ! यहाँ पर शिव के अतिरिक्त सबको इस यज्ञ में बुलाया गया था! शिव की अर्धांगिनी पार्वती जो जब यह पता चला और अपने पति के तिरस्कार को देखकर वो वो कनखल जाकर यज्ञ के हवन में कूद पड़ी और देह त्याग कर दिया !

शिव ने कैलाश के यह बात जान दक्ष प्रजापति का यज्ञ विध्वंश कर सबका नाश कर दिया! और की भस्म को आच्छादित कर झाकर सैम (अल्मोड़ा जिले में स्थिति) में तपस्या की! झाकर सैम को तब से देवदारु वन के आच्छादित बताया है !  झाकर सैम जागीश्वर पर्वत में है !

कुमाउ के इस पर्वत में वशिष्ठ मुनि अपनी पत्नियों सहित रहते थे ! एक दिन ऋषि ने पत्नियों ने कुशा और व समिधा  एकत्र करते हुए शिव को रख मले हुए नगनवस्था में तपस्या करते  देखा ! गले में साप की माला थी और आँखे बंद, मौन धारण किये हुए, चित उनका काली (पत्नी) के शोक में संतप्त था! ऋषि के सित्र्याँ  उनके सौंदर्य को देखकर उनके चारो और एकत्र हो गयी!

सप्त ऋषियों की की सातो स्त्रियाँ जब रात में न लौटी तो प्रातः काल वे दूदने को गए ! देखा, तो शिव समाधि लिए है, और स्त्रियाँ उनके चारो और बेहोश पड़ी है

ऋषियों का शिव को शाप देना
=====================
यह देख कर ऋषियों के मन में विचार आया की शिव ने उनकी स्त्रियों की बेजज्ती की है, शिव को शाप दिया "जिस इन्द्रय यानी जिस वस्तु से तुमने यह अनौचित्य किया है, वह लिंग) भूमि में गिर जाय "!

तब शिव ने कहा "

"तुमने मुझे आकरण शाप दिया है, लेकिन तुमने मुझे संकित अवस्था में पाया है, इस लिए में तुमारे शाप का विरोध नहीं करूँगा ! मेरा लिंग धरती पर गिरेगा और तुम सातो सप्त ऋषि के रूप में आकाश में चमकोगे" अतः शिव ने शाप के अनुसार अपने लिंग को धरती में गिराया !

सारी धरती शिव

Wednesday, August 12, 2015

nice thoughts


.
.
1) कितना मुश्किल है, जिंदगी का सफर..., भगवान मरने नही देते और इंसान जीने नही देते।

2) खून जिसका भी हो रंग सबका एक ही है, कैसे पता लगाया जाये बेगाना कौन है और अपना कौन है।

3) चलो माना दुनियाँ बहुत बुरी है, लेकिन तुम तो अच्छे बनो तुम्हे किसने रोका है....!!

4) जो जैसा है, उसे वैसा ही अपना लो…!! रिश्ते निभाने आसान हो जायेंगे..,

5) “दुआ” कभी खाली नही जाती… बस लोग ईन्तजार नही करते..!!

6 ) हे स्वार्थ तेरा शुक्रिया... एक तू ही है , जिसने लोगो को आपस में जोड़ कर रख रखा है.

7) वक़्त की मार तो देख... दुनिया जीतने वाले सिकंदर का देश ... दिवालिया हो गया....

8) ''' गिरना भी अच्छा है,औकात का पता चलता है ,, ''' बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को, अपनों का पता चलता है ,,

9) बहुत देखा जीवन में समझदार बन कर, पर ख़ुशी हमेशा पागल बनने पर ही मिलती है...!!!

10) गलती जिंदगी का एक पन्ना है; परन्तु 'रिश्ते' पूरी किताब हैं। ज़रूरत पड़ने पर 'गलती' का पन्ना फाड़ देना लेकिन एक पन्ने के लिए पूरी किताब मत फाड़ देना

11) जिन्दगी के सफर से, बस इतना ही सबक सीखा है । सहारा कोई कोई ही देता है, धक्का देने को हर शख्स तैयार बैठा है...!!

12) इंसान को उस जगह हमेशा 'खामोश' रहना चाहिये - जहां . . . 'दो कौड़ी' के लोग अपनी 'हैसियत' के गुण गाते हों.....

13) धर्म से कर्म इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि धर्म करके भगवान से मांगना पडता है, जब कि कर्म करने से भगवान को खुद ही देना पडता है॥

14) कोई भी ईन्सान इतना अमीर नही होता की वो अपना भुतकाल खरीद सके ... और... कोई इतना गरीब नही होता की वो अपना भविष्य न बदल सके.

15) इंसान को अपनी औकात भूलने की बीमारी है और कुदरत के पास उसे याद दिलाने की अचूक दवा...

16) छोटे छोटे कदम मीलों का सफर तय कर सकते हैं।

17) ‘सब्र’ और ‘सच्चाई’ एक ऐसी सवारी है…..जो अपने सवार को कभी गिरने नहीं देती….. ना किसी के कदमो में…और ना किसी की नज़रों में..!!

18) अच्छे के साथ अच्छे रहे...लेकिन बुरे के साथ बुरे नहीं बने... "क्योंकि" पानी से खून साफ कर सकते है लेकिन खून से खून नहीं

Sunday, August 9, 2015

APJ Abdul kalam asset

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जायदाद की गिनती की गयी,
जिसमे

६ पँट (2 DRDO युनिफोर्म)
४ शर्ट (2 DRDO युनिफोर्म)
३ सुट (1 पश्चिमी, 2 भारतीय)
२५०० किताबे
१ फ्लैट (संशोधन के लिए दान)
१ पद्मश्री
१ पद्मभूषण
१ भारतरत्न
१६ डॉक्टरेट
१ वेबसाईट
१ ट्विटर
१ इमेल

TV, AC, गाडी, जेवर, शेअर्स, जमीन-जायदाद, बैंक बैलेंस कुछ नही. पिछले 8 सालों से पेंशन की भी रकम अपने गाँव की ग्राम पंचायत को दान दे दी।
असली महात्मा और राष्ट भक्त तो ये थे।...........जय हिन्द

Saturday, August 8, 2015

life line how we got lolz

हो क्या राहा है 3दिन से देख राहा हु राधा माॅ ए हे कोन

कोई भगवान हे क्या
✋भगवान ने पहले
��गधे  को बनाया
❤और कहा तुम गधे होगे |
❤तुम सुबह से शाम तक
❤बिना थके काम करोगे |
❤तुम घास खाओगे और
❤तुम्हारे पास अक्ल नहीं होगी
❤और तुम 50 साल जियोगे |”
��गधा  बोला –
��मै 50 साल नहीं जीना चाहता |
��ये बहुत ज्यादा है |
��आप मुझे 20 साल ही दें |
��भगवान ने कहा तथास्तु
———————————
��भगवान ने फिर कुत्ते को बनाया –
��और कहा तुम कुत्ते होगे|
��तुम घर की रखवाली करोगे |
��तुम आदमी के दोस्त होगे |
��तुम वह खाओगे
��जो आदमी तुम्हे देगा |
��तुम 30 वर्ष जियोगे|”
��कुत्ता बोला –
��मै 30 साल नहीं जीना चाहता |
��ये बहुत ज्यादा है |
��आप मुझे 15 साल ही दें |
��भगवान ने कहा तथास्तु...
———————————
��फिर भगवान ने बन्दर को बनाया –
��और कहा तुम बन्दर होगे |
��तुम एक डाली से दूसरी में
��उछलते कूदते रहोगे |
��तुम 20 वर्ष जियोगे |”
��तो बन्दर बोला – मै
��20 साल नहीं जीना चाहता |
��ये बहुत ज्यादा है |
��आप मुझे 10 साल ही दें |
��भगवान ने कहा तथास्तु……
��आखिर में भगवान ने
��आदमी को बनाया –
��और कहा तुम आदमी होगे |
❤तुम धरती के सबसे अनोखे जीव होगे|
❤तुम अपनी अकलमंदी से
❤सभी जानवरों के मास्टर होगे|
❤तुम दुनिया पे राज करोगे |
❤तुम 20 साल जियोगे |”
��तो आदमी ने जवाब दिया –
��20 साल तो बहुत कम है|
��आप मुझे 30 साल दे
��जो गधे ने मना कर दिए,
��15 साल कुत्ते को नहीं चाहिए थे,
��10 साल बन्दर ने मना कर दिए,
��वह भी दे दें|
��भगवान ने कहा तथास्तु…
��और तीनो जानवरों के साल
��(30 साल, 15 साल, 10 साल),
�� जो की जानवरों ने माना कर दिए थे,
��आदमी को मिल गए |
��तब से आज तक आदमी
��20 साल इन्सान की तरह जीता है|
��शादी करता है और
��30 साल गधो की तरह बिताता है|
��काम करता है और
��अपने ऊपर सारा भोझ उठाता है |
��और फिर उसके
��बच्चे जब बड़े हो जाते है तो
��वह 15 साल कुत्ते की तरह
��घर की रखवाली करता है,
��बच्चे जो उसे दे देते है
��वह खा लेता है |
��उसके बाद जब वह
��रिटायर हो जाता है| तो
��वह 10 साल बन्दर की तरह
��जीवन बिताता है
��एक घर से दूसरे घर या
��अपने एक बेटे या बेटी के घर से
❤दूसरे बेटा या बेटी के घर पर
❤अता- जाता रहता है और
❤नए – 2 तरीके अपनाता है
❤अपने पोतो को खुश करने मे
❤और कहानी सुनाने में !!!!!!

�� ये ही जीवन की सच्चाई  है...

Friday, May 22, 2015

Truth of life

लौट आता हूँ वापस घर की तरफ... हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की जीने के लिए काम करता हूँ या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल -
"बङे हो कर क्या बनना है ?"
जवाब अब मिला है, - "फिर से बच्चा बनना है.

“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे...!!”

दोस्तों से बिछड़ कर यह हकीकत खुली...

बेशक, कमीने थे पर रौनक उन्ही से थी!!

भरी जेब ने ' दुनिया ' की पहेचान करवाई और खाली जेब ने ' अपनो ' की.

जब लगे पैसा कमाने, तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के पैसों से पुरे होते थे,
अपने पैसों से तो सिर्फ जरूरतें पुरी होती है। ...!!!

हंसने की इच्छा ना हो...
तो भी हसना पड़ता है...
.
कोई जब पूछे कैसे हो...??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है...
.

ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों....
यहाँ हर एक को नाटक करना पड़ता है.

"माचिस की ज़रूरत यहाँ नहीं पड़ती...
यहाँ आदमी आदमी से जलता है...!!"

दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,

पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं।

मंदिर में फूल चढ़ा कर आए तो यह एहसास हुआ कि...

पत्थरों को मनाने में ,
फूलों का क़त्ल कर आए हम

गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ....
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम ।।
awesum truth of life. .

Friday, May 15, 2015

Koi farq mat karo kisi me

मशरूफ थे सब अपनी जिंदगी की उलझनों में .
दोस्तों
जरा सी जमीन क्या हिली सबको खुदा याद आने
लगा..!"

इंसान की अमीरी क्या,
फकीरी क्या
ऊपर वाले के एक झटके की बात है प्यारे,
कल सबसे सुरक्षित वही दिखे जिनके सिर के ऊपर छत नहीं था।।
बुलँदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती हैं,
जितनी ऊँची हो इमारत,
हर वक्त खतरे में रहती है।।

Wednesday, April 29, 2015

Work as being human

जिन्दगी गुजर जाती है
एक मकान बनाने में।
और
कुदरत उफ़ तक नहीं करती बस्तियाँ गिराने में।
ना उजाड़ ए - खुदा किसी के आशियाने को,
वक़्त बहुत लगता है, एक छोटा सा घर बनाने
को...!!

Monday, April 27, 2015

Jaag ja ae insaan

नेपाल हिला, भारत हिला और हिल गया पाकिस्तान,
न मसीह आए, न अल्लाह आए और कहाँ गए भगवान ?
हैं कौन हिन्दू, कौन ईसाई और कौन है मुसलमान,
प्रकृति के आगे है बेबस हर इंसान ।।
हैं समान सब उसकी नजर में,
वहाँ नहीं चलता बाइबल, वेद और कुरान।
मत उलझ इस पाखण्ड में,
अब तो जाग जा ए मूर्ख इंसान ।।

Friday, April 24, 2015

Beautiful poem by –हरिवंशराय बच्चन

हारना तब आवश्यक हो जाता है जब लङाई  "अपनों से हो"
...और....
जीतना तब आवश्यक हो जाता है जब लङाई  "अपने आप से  हो"

मंजिल मिले ना मिले
ये तो मुकदर की बात है!
हम कोशिश भी ना करे
ये तो गलत बात है...

Nice quotes

पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,,,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ…।।
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वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
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कागज अपनी किस्मत से उड़ता है;
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
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दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!……..
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जिंदगी में दो लोगों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है!
पिता: जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो!
माँ: जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो!
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काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
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भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
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अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!
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‘इंसान’ एक दुकान है, और ‘जुबान’ उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान ‘सोने’ कि है, या ‘कोयले
एक दिन मैं कॉलेज से घर आने के लिये
निकला आसमान
में बादल थे…
लग रहा था कि बारिश होने वाली थी…
इसलिए सोचा कि घर जल्दी पहुँच जाऊँ पर रास्ते
में
ही बारिश शुरू हो गई और मैं भीग गया…!!!
.
घर जाते ही बड़ी बहन ने कहा -: “थोड़ी देर रुक
नही सकते थे…??”
.
बड़े भाई ने कहा -: “कहीं साइड में खड़े
हो जाते …??”
.
पापा ने कहा -: “खड़े कैसे हो जाते..!! जनाब
को बारिश में भीगने का शौक जो है..??”
.
.
.
इतने में मम्मी आई और सिर पर टॉवेल रखते हुऐ
बोली -: “ये बारिश भी ना… थोड़ी देर रुक
जाती तो मेरा बेटा घर आ जाता…!!!”
‘माँ’ तो ‘माँ’ ह�

Nice lines

जरूरी नही कि जिनमे सांसें नही वो ही मुर्दा है..
जिनमे इंसानियत नही है, वो भी तो मुर्दा ही है..!!

Tuesday, April 21, 2015

Keep water on your roof for birds

.              .*""*.          कृपया
             (   @  #>     मेरे लिए
       _.*".-'..,   )    अपने घर की छत
   .-" . ' _- ._,.-"        पर दाना और
   / ,,,/"   |  |        एक बर्तन में पानी
  / ,,,/     ^  ^           जरूर रखना
/ ,,,/                     गर्मी बहुत है
                           आपकी चिड़िया..
प्लीज शेयर करे धन्यवाद������

Saturday, April 18, 2015

I love u mummyji n papaji

दोस्तों थोड़ा समय निकाले ...पढे. 
बड़े गुस्से से मैं घर से चला आया ..

इतना गुस्सा था की गलती से पापा के ही जूते पहन के निकल गया 
मैं आज बस घर छोड़ दूंगा, और तभी लौटूंगा जब बहुत बड़ा आदमी बन जाऊंगा ...

जब मोटर साइकिल नहीं दिलवा सकते थे, तो क्यूँ इंजीनियर बनाने के सपने देखतें है .....
आज मैं पापा का पर्स भी उठा लाया था .... जिसे किसी को हाथ तक न लगाने देते थे ...

मुझे पता है इस पर्स मैं जरुर पैसो के हिसाब की डायरी होगी ....
पता तो चले कितना माल छुपाया है .....
माँ से भी ...

इसीलिए हाथ नहीं लगाने देते किसी को..

जैसे ही मैं कच्चे रास्ते से सड़क पर आया, मुझे लगा जूतों में कुछ चुभ रहा है ....
मैंने जूता निकाल कर देखा .....
मेरी एडी से थोडा सा खून रिस आया था ...
जूते की कोई कील निकली हुयी थी, दर्द तो हुआ पर गुस्सा बहुत था ..

और मुझे जाना ही था घर छोड़कर ...

जैसे ही कुछ दूर चला ....
मुझे पांवो में गिला गिला लगा, सड़क पर पानी बिखरा पड़ा था ....
पाँव उठा के देखा तो जूते का तला टुटा था .....

जैसे तेसे लंगडाकर बस स्टॉप पहुंचा, पता चला एक घंटे तक कोई बस नहीं थी .....

मैंने सोचा क्यों न पर्स की तलाशी ली जाये ....

मैंने पर्स खोला, एक पर्ची दिखाई दी, लिखा था..
लैपटॉप के लिए 40 हजार उधार लिए
पर लैपटॉप तो घर मैं मेरे पास है ?

दूसरा एक मुड़ा हुआ पन्ना देखा, उसमे उनके ऑफिस की किसी हॉबी डे का लिखा था 
उन्होंने हॉबी लिखी अच्छे जूते पहनना ......
ओह....अच्छे जुते पहनना ???
पर उनके जुते तो ...........!!!!

माँ पिछले चार महीने से हर पहली को कहती है नए जुते ले लो ...
और वे हर बार कहते "अभी तो 6 महीने जूते और चलेंगे .."
मैं अब समझा कितने चलेंगे

......तीसरी पर्ची ..........
पुराना स्कूटर दीजिये एक्सचेंज में नयी मोटर साइकिल ले जाइये ...
पढ़ते ही दिमाग घूम गया.....
पापा का स्कूटर .............
ओह्ह्ह्ह

मैं घर की और भागा........
अब पांवो में वो कील नही चुभ रही थी ....

मैं घर पहुंचा .....
न पापा थे न स्कूटर ..............
ओह्ह्ह नही
मैं समझ गया कहाँ गए ....

मैं दौड़ा .....
और
एजेंसी पर पहुंचा......
पापा वहीँ थे ....

मैंने उनको गले से लगा लिया, और आंसुओ से उनका कन्धा भिगो दिया ..

.....नहीं...पापा नहीं... 
मुझे नहीं चाहिए मोटर साइकिल...

बस आप नए जुते ले लो और मुझे अब बड़ा आदमी बनना है..

वो भी आपके तरीके से ...।।
����
"माँ" एक ऐसी बैंक है जहाँ आप हर भावना और दुख जमा कर सकते है...
    और
"पापा" एक ऐसा क्रेडिट कार्ड है जिनके पास बैलेंस न होते हुए भी हमारे सपने पूरे करने की कोशिश करते है...
एक सुखी परिवार के लिए. उस कीसीको कुछ ना कहने 
वाले इंसान को भी समजे ओर प्यार दे. जगदीश 
��...��I Love Papa n mom��...��

Harakchand Sanvla ek activist ek misaal

करीब तीस साल का एक युवक मुंबई के प्रसिद्ध टाटा कैंसर अस्पताल के सामने फुटपाथ पर खड़ा था।

युवक वहां अस्पताल की सीढिय़ों पर मौत के द्वार पर खड़े मरीजों को बड़े ध्यान दे देख रहा था,

जिनके चेहरों पर दर्द और विवषता का भाव स्पष्ट नजर आ रहा था।

इन रोगियों के साथ उनके रिश्तेदार भी परेशान थे।

थोड़ी देर में ही यह दृष्य युवक को परेशान करने लगा।

वहां मौजूद रोगियों में से अधिकांश दूर दराज के गांवों के थे, जिन्हे यह भी नहीं पता था कि क्या करें, किससे मिले? इन लोगों के पास दवा और भोजन के भी पैसे नहीं थे।

टाटा कैंसर अस्पताल के सामने का यह दृश्य देख कर वह तीस साल का युवक भारी मन से घर लौट आया।

उसने यह ठान लिया कि इनके लिए कुछ करूंगा। कुछ करने की चाह ने उसे रात-दिन सोने नहीं दिया। अंतत: उसे एक रास्ता सूझा..

उस युवक ने अपने होटल को किराये पर देक्रर कुछ पैसा उठाया। उसने इन पैसों से ठीक टाटा कैंसर अस्पताल के सामने एक भवन लेकर धर्मार्थ कार्य(चेरिटी वर्क) शुरू कर दिया।

उसकी यह गतिविधि अब 27 साल पूरे कर चुकी है और नित रोज प्रगति कर रही है। उक्त चेरिटेबिल संस्था कैंसर रोगियों और उनके रिश्तेदारों को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराती है।

करीब पचास लोगों से शुरू किए गए इस कार्य में संख्या लगातार बढ़ती गई। मरीजों की संख्या बढऩे पर मदद के लिए हाथ भी बढऩे लगे। शर्दी, गर्मी, बरसात हर मौसम को झेलने के बावजूद यह काम नहीं रूका।

यह पुनीत काम करने वाले युवक का नाम था हरकचंद सावला।

एक काम में सफलता मिलने के बाद हरकचंद सावला जरूरतमंदों को निशुल्क दवा की आपूर्ति शुरू कर दिए।

इसके लिए उन्होंने मैडीसिन बैंक बनाया है, जिसमें तीन डॉक्टर और तीन फार्मासिस्ट स्वैच्छिक सेवा देते हैं। इतना ही नहीं कैंसर पीडि़त बच्चों के लिए खिलौनों का एक बैंक भी खोल दिया गया है। आपको जान कर आश्चर्य होगा कि सावला द्वारा कैंसर पीडि़तों के लिए स्थापित 'जीवन ज्योतÓ ट्रस्ट आज 60 से अधिक प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है।

57 साल की उम्र में भी सावला के उत्साह और ऊर्जा 27 साल पहले जैसी ही है।

मानवता के लिए उनके योगदान को नमन करने की जरूरत है।

यह विडंबना ही है कि आज लोग 20 साल में 200 टेस्ट मैच खेलने वाले सचिन को कुछ शतक और तीस हजार रन बनाने के लिए भगवान के रूप में देखते हैं।

जबकि 10 से 12 लाख कैंसर रोगियों को मुफ्त भोजन कराने वाले को कोई जानता तक नहीं।

यहां मीडिया की भी भूमिका पर सवाल है, जो सावला जैसे लोगों को नजर अंदाज करती है।

यहां यह भी बता दे कि गूगल के पास सावला की एक तस्वीर तक नहीं है।

यह हमे समझना होगा कि पंढरपुर, शिरडी में साई मंदिर, तिरुपति बाला जी आदि स्थानों पर लाखों रुपये दान करने से भगवान नहीं मिलेगा।

भगवान हमारे आसपास ही रहता है। लेकिन हम बापू, महाराज या बाबा के रूप में विभिन्न स्टाइल देव पुरुष के पीछे पागलों की तरह चल रहे हैं।

इसके बाजवूद जीवन में कठिनाइयां कम नहीं हो रही हैं और मृत्यु तक यह बनी रहेगी।

परतुं बीते 27 साल से कैंसर रोगियों और उनके रिश्तेदारों को हरकचंद सावला के रूप में भगवान ही मिल गया है।

इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाएं ताकि हरकचंद्र सावला को उनके हिस्से की प्रसिद्धि मिल सके और ऐसे कार्य करने वालो को बढावा मिले

क्या आप-हम ऐसे कार्यों में अपना योगदान नहीं दे सकते??

ज़रा सोचिए
������ धन्यवाद ��   ����