मशरूफ थे सब अपनी जिंदगी की उलझनों में .
दोस्तों
जरा सी जमीन क्या हिली सबको खुदा याद आने
लगा..!"
इंसान की अमीरी क्या,
फकीरी क्या
ऊपर वाले के एक झटके की बात है प्यारे,
कल सबसे सुरक्षित वही दिखे जिनके सिर के ऊपर छत नहीं था।।
बुलँदी देर तक किस शख्स के हिस्से में रहती हैं,
जितनी ऊँची हो इमारत,
हर वक्त खतरे में रहती है।।
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