पहले मैं होशियार था,
इसलिए दुनिया बदलने चला था,,,
आज मैं समझदार हूँ,
इसलिए खुद को बदल रहा हूँ…।।
वक़्त अच्छा ज़रूर आता है;
मगर वक़्त पर ही आता है!
कागज अपनी किस्मत से उड़ता है;
लेकिन पतंग अपनी काबिलियत से!
इसलिए किस्मत साथ दे या न दे;
काबिलियत जरुर साथ देती है!
दो अक्षर का होता है लक;
ढाई अक्षर का होता है भाग्य;
तीन अक्षर का होता है नसीब;
साढ़े तीन अक्षर की होती है किस्मत;
पर ये चारों के चारों चार अक्षर, मेहनत से छोटे होते हैं!……..
जिंदगी में दो लोगों का ख्याल रखना बहुत जरुरी है!
पिता: जिसने तुम्हारी जीत के लिए सब कुछ हारा हो!
माँ: जिसको तुमने हर दुःख में पुकारा हो!
काम करो ऐसा कि पहचान बन जाये;
हर कदम चलो ऐसे कि निशान बन जायें;
यह जिंदगी तो सब काट लेते हैं;
जिंदगी ऐसे जियो कि मिसाल बन जाये!
भगवान की भक्ति करने से शायद हमें माँ न मिले;
लेकिन माँ की भक्ति करने से भगवान् अवश्य मिलेंगे!
अहंकार में तीन गए;
धन, वैभव और वंश!
ना मानो तो देख लो;
रावन, कौरव और कंस!
‘इंसान’ एक दुकान है, और ‘जुबान’ उसका ताला;
जब ताला खुलता है, तभी मालुम पड़ता है;
कि दूकान ‘सोने’ कि है, या ‘कोयले
एक दिन मैं कॉलेज से घर आने के लिये
निकला आसमान
में बादल थे…
लग रहा था कि बारिश होने वाली थी…
इसलिए सोचा कि घर जल्दी पहुँच जाऊँ पर रास्ते
में
ही बारिश शुरू हो गई और मैं भीग गया…!!!
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घर जाते ही बड़ी बहन ने कहा -: “थोड़ी देर रुक
नही सकते थे…??”
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बड़े भाई ने कहा -: “कहीं साइड में खड़े
हो जाते …??”
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पापा ने कहा -: “खड़े कैसे हो जाते..!! जनाब
को बारिश में भीगने का शौक जो है..??”
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इतने में मम्मी आई और सिर पर टॉवेल रखते हुऐ
बोली -: “ये बारिश भी ना… थोड़ी देर रुक
जाती तो मेरा बेटा घर आ जाता…!!!”
‘माँ’ तो ‘माँ’ ह�
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