*रामायण से जुड़ी कुछ ऐसे जानकारी जो आज तक करोडो हिंदूओ को मालूम नहीं होगी*
क्या आप जानते है कि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में सीता स्वयंवर का वर्णन नहीं है जबकि तुलसीदास द्वारा श्रीरामचरित मानस में वर्णन है कि भगवान श्रीराम ने सीता स्वयंवर में शिव धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया.
रामायण में यह बताया गया है कि भगवान राम व लक्ष्मण ऋषि विश्वामित्र के साथ मिथिला पहुंचे थे और विश्वामित्र ने ही राजा जनक से श्रीराम को वह शिवधनुष दिखाने के लिए कहा था. तभी खेल खेल में भगवान श्रीराम ने उस धनुष को उठाया और प्रत्यंचा चढ़ाते समय वह टूट गया.
विश्व विजय करने के बाद जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसने वहां अपनी वासना पूरी करने के लिए रंभा नाम की अप्सरा को पकड़ लिया था. उस अप्सरा के लाख बार मना करने के बाद भी रावण नहीं माना. अप्सरा ने रावण से यह भी कहा कि मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के लिए हूं, इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं. लेकिन रावण है की उस अप्सरा के साथ दुराचार किये जा रहा था. जब नलकुबेर को इस बात का पता चला तो उसने रावण को तुरंत श्राप दिया कि आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री की इच्छा के उसे स्पर्श करेगा तो उसका मस्तक सौ टुकड़ों में बंट जाएगा.
शूर्पणखा ने रावण के सर्वनाश का श्राप दिया था क्यूंकि रावण ने एक युद्ध में शूर्पणखा के पति विद्युतजिव्ह का वध कर दिया था. शूर्पणखा ने तब मन ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही कारण तेरा सर्वनाश होगा और वही हुआ.
एक बार जब रावण अपने पुष्पक विमान से कही जा रहा था तब उसको एक सुंदर स्त्री दिखी जिसका नाम था वेदवती. वेदवती भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के लिए तपस्या कर रही थी. तब रावण ने वेदवती के बाल पकड़कर उसे अपने साथ चलने के लिए कहा था. तभी वेदवती ने अपना देह त्याग दिया था और रावण को श्राप दिया था कि एक स्त्री के कारण ही तेरी मृत्यु होगी. और वेदवती ही दुसरे जन्म में सीता बनकर पैदा हुई थी.
विश्व विजय पर निकलते समय रावण यमलोक जा पहुंचा था. यमलोक में रावण और यमराज के बीच भयंकर युद्ध हुआ था. रावण का वध किसी देवता द्वारा संभव नहीं था इसलिए जब यमराज ने रावण के प्राण लेने के लिए कालदण्ड का प्रयोग करना चाहा तो ब्रह्मा ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया था.
जब भगवान शंकर से मिलने रावण कैलाश गये थे तब वहां रावण ने उन्हें बंदर के समान मुख वाला कहकर उनके स्वरूप की हंसी उड़ाई थी. तब नंदीजी ने रावण को श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा.
सोने की लंका पहले रावण के भाई कुबेर की थी. विश्व विजय पर निकलते समय रावण ने अपने भाई कुबेर को हराकर सोने की लंका तथा पुष्पक विमान पर कब्जा कर लिया था.
No comments:
Post a Comment